पवन धीमान, हमीरपुर। … राधे कृष्णा मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशुओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। जहाँ एक ओर डॉक्टर्स अपने आरामदायक कमरों में बैठे हैं, वहीं दूसरी ओर नवजात बच्चों को गायनी विभाग के बरामदे में खुले में मशीनों में रखा जा रहा है। यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि मेडिकल प्रशासन की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है।
*डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धज्जियाँ!*
इस स्थिति में नवजात शिशु गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा, डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। यदि कोई आगजनी या अन्य आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तो इन नवजातों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कोई नहीं है।
*प्रशासन का बचाव – “जगह का अभाव!”*
पीडियाट्रिक्स विभाग के एचओडी डॉ. पंचम ने बताया कि रेडियंट वार्मरों के लिए उचित स्थान उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है, लेकिन जगह की कमी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में स्पेस की कमी और रोगियों की अधिक भीड़ के चलते नवजातों को अस्थायी व्यवस्था में रखा जा रहा है। हालाँकि, अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है।
*कब तक मिलेगा इन मासूमों को सुरक्षित माहौल?*
इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को उचित व्यवस्था के लिए एस्टीमेट बनाने को कहा गया है, लेकिन सवाल यह है कि कब तक इन नवजात शिशुओं को सुरक्षित वातावरण मिल पाएगा? क्या मेडिकल प्रशासन इन मासूमों के जीवन के साथ खिलवाड़ करता रहेगा?
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इस गंभीर मामले में तुरंत हस्तक्षेप करके नवजातों के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, वरना यह लापरवाही किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है।
