भगवान की शरणागति से मिलता है सच्चा सुख : स्वामी राजेंद्र दास

ऊना, 27 जून। हरोली उपमंडल के गोंदपुर क्षेत्र में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के पांचवे दिवस पर दिव्य वातावरण में धर्म, भक्ति और आध्यात्म की अमृतवर्षा हुई। यह सात दिवसीय कथा उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा अपनी धर्मपत्नी स्वर्गीय प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की पुण्य स्मृति में आयोजित की जा रही है।

 

कथावाचक जगतगुरु स्वामी राजेन्द्र दास देवाचार्य जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि यह कथा पवित्र आषाढ़ मास में हो रही है, जो श्रवण के लिए अत्यंत पुण्यदायी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्व. प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री अपने दिव्य स्वरूप में इस भागवत कथा को श्रवण कर रही हैं और कथा पूर्ण होने के उपरांत वे उस नित्यधाम में प्रतिष्ठित होंगी, जहां से कोई जीव वापस नहीं आता। स्वामी जी ने भगवान से प्रार्थना की कि भक्तिमति सिम्मी जी को अपने चरणों में नित्य स्थान प्रदान करें, और उनकी अधूरी इच्छाओं को उनकी सुपुत्री डॉ. आस्था अग्निहोत्री पूर्ण करें।

 

स्वामी जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का भजन-कीर्तन के माध्यम से रसपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं है यदि मनुष्य भगवान की शरण में चला जाए। गुरु वचन दिव्य होते हैं, और उनका पालन जीवन को सार्थक बनाता है। उन्होंने चारों युगों के धामों—सतयुग का बद्रीनाथ, त्रेता का रामेश्वरम, द्वापर का द्वारका और कलियुग का श्रीजगन्नाथ धाम—की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।

 

उन्होंने बताया कि सच्चा शरणागत भक्त दुख में विचलित नहीं होता और सुख में अहंकार नहीं करता। ऐसा भक्त संसार की नाशवान वस्तुओं में मोह नहीं करता और उसमें ब्रह्म ज्योति का उदय होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता या गुरु की सीख नहीं सुन सकता, उसका उद्धार स्वयं भगवान भी नहीं कर सकते।

 

स्वामी जी ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा नगनोली में लगभग 400 एकड़ भूमि पर बन रहे  गौ अभयारण्य   की सराहना करते हुए इसे अत्यंत पुण्य कार्य बताया। उन्होंने कहा कि गौ सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती और इस कथा का आयोजन भी तभी सार्थक हुआ जब यह पावन भूमि इस पुण्य कार्य की साक्षी बनी।

 

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, उनकी सुपुत्री डॉ. आस्था अग्निहोत्री, राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री रैंक के केहर सिंह खाची सहित कई गणमान्य अतिथि, स्थानीय जनप्रतिनिधि और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने कथा श्रवण कर आध्यात्मिक शांति और सत्संग का लाभ प्राप्त किया।

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