ऊना, 26 जून।
गोंदपुर जयचंद स्थित कम्युनिटी केंद्र में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिवस की कथा का आयोजन दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ। कथा वाचन कर रहे जगद्गुरु श्री स्वामी राजेंद्र दास जी महाराज ने अपने प्रवचनों में भगवान विष्णु के विविध अवतारों का वर्णन करते हुए भक्ति, संयम और धर्म के महत्व को उजागर किया
स्वामी जी ने कहा कि यदि मनुष्य के अंदर सत्य, दया, अहिंसा, तपस्या, विवेक, ज्ञान, संतोष, त्याग, संयम और विरक्ति जैसे गुण हों, तो भगवान उस पर प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और भक्ति में सरलता होनी चाहिए।
उन्होंने सामाजिक मूल्यों की ओर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि गाय, नारीशक्ति, संत और दीन-दुखियों पर अत्याचार करना पाप है और इनकी सेवा करना धर्म है। मनुष्य को गलत आचरण से बचना चाहिए और अपनी आंतरिक पवित्रता प्रभु भक्ति द्वारा प्राप्त करनी चाहिए।
स्वामी जी ने यह भी कहा कि कर्म सामान्य हो सकता है, परंतु उसका उद्देश्य पवित्र होना चाहिए। जो देता है, वह देवता है और जो केवल लेता है, वह दैत्य। उन्होंने चेताया कि बुरा व्यक्ति भी यदि अच्छी संगति करे तो उसका सम्मान हो सकता है, लेकिन बुरी संगति से सभी को बचना चाहिए।
कथा के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संदर्भों में भी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत को छोड़कर अधिकांश देश साम्राज्यवादी और विस्तारवादी प्रवृत्ति के हैं।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, उनकी सुपुत्री डॉ. आस्था अग्निहोत्री सहित अन्य विशिष्ट अतिथि एवं भारी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे और कथा का श्रवण कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।
