ऊना, 25 जून । गोंदपुर जयचंद में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिवस की कथा में जगद्गुरु श्री स्वामी राजेंद्र दास जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान से सराबोर किया। उन्होंने आत्महत्या को सबसे बड़ा पाप करार देते हुए जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और ईश्वर विश्वास बनाए रखने का आह्वान किया।
स्वामी जी ने कहा, “आत्महत्या के बाद व्यक्ति को प्रेत योनि में जाना पड़ता है, जहां उसका जीवन अत्यंत पीड़ादायक होता है और यह स्थिति हजार वर्षों तक बनी रहती है। चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों न आए, आत्महत्या का विचार भी नहीं करना चाहिए।”
उन्होंने परम सेवा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “सेवा यदि निःस्वार्थ भाव से की जाए तो वह परम सेवा कहलाती है और इससे बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं है।”
स्वामी राजेंद्र दास जी ने नारी शक्ति को नमन करते हुए कहा कि “नारी साक्षात् जगदंबा का स्वरूप है। जिस प्रकार महापुरुष किसी अन्य लोक से नहीं आते, वे भी मां की कोख से ही जन्म लेते हैं, वैसे ही नारी को अपने आत्मस्वरूप को पहचानने की आवश्यकता है।”
स्वामी जी ने भौतिक विज्ञान की अंधी दौड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “आज विश्व बारूद के ढेर पर बैठा है। विज्ञान ने इतने परमाणु हथियार बना लिए हैं कि पृथ्वी को 40 बार नष्ट किया जा सकता है। इसके विपरीत, अध्यात्म विज्ञान से किसी भी जीव को कोई हानि नहीं होती है।”
उन्होंने गौ माता की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि “गाय समस्त कामनाओं की पूर्ति करती है। यदि गाय की रक्षा होगी तो पृथ्वी की रक्षा सुनिश्चित होगी।”
इस अवसर पर बाबा बाल जी महाराज ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि “भगवान की कृपा से संतों के दर्शन होते हैं और संतों की कृपा से भगवान के दर्शन संभव हैं। संतों के सान्निध्य से मन निर्मल होता है।”
कथा में हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री उनकी सुपुत्री डॉ. आस्था अग्निहोत्री के साथ विशेष श्रद्धा के साथ उपस्थित रहे और स्वामी जी के दिव्य वचनों का श्रवण किया।
इस पावन अवसर पर बाबा सर्वजोत सिंह बेदी जी, पूर्व विधायक बंबर ठाकुर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणजीत राणा, अशोक ठाकुर, प्रमोद कुमार, उपायुक्त जतिन लाल, पुलिस अधीक्षक अमित यादव तथा क्षेत्र की अनेक पंचायतों के प्रतिनिधि एवं गणमान्य अतिथिगण भी उपस्थित रहे।
श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति और कथा में उनकी गहन श्रद्धा से वातावरण भक्ति एवं आस्था से परिपूर्ण रहा। श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ का आयोजन समाज में सांस्कृतिक जागरण, आत्मिक उन्नति और अध्यात्म के प्रचार हेतु एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरा है।
