अटारी से लेह वाया टोनी देवी, आवाहदेवी बन रहे राष्ट्रीय राजमार्ग 03 के निर्माण में जुटी कंपनी ने अवैध तरीके से चयनित डंपिंग साइट की जगह किसी अन्य सरकारी भूमि पर लाखों टन मलबे को मनमर्जी से उडेल दिया है। जिससे सरकारी भूमि में हजारों की तादाद में लगाए गए खैर समेत अन्य पेड़ मलबे के नीचे दब गए हैं
जिससे वन विभाग का लाखों रुपयों का नुकसान होने का अनुमान है। टोनी देवी कस्बे के नजदीकी गांव दरकोटी में पुलिस चौकी के नजदीक ही इस तरह के अवैध कार्य को अंजाम दिया गया है। हैरानी इस बात की इस निर्माणाधीन राजमार्ग से होकर वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी रोजाना गुजरते हैं, परंतु इस ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया ? यह एक बड़ा सवाल है। बताया जा रहा है कि पिछले करीब तीन हफ्ते से इस जगह लगातार अवैध डंपिंग की जा रही है, फिर भी इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने डंपिंग रोकने और पेड़ों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। शुक्रवार को मीडिया को इस बात की भनक लगने के उपरांत यह मामला काफी गर्मा गया है। मामला गरमाने के उपरांत शुक्रवार दोपहर को डीएफओ हमीरपुर के निर्देशों के उपरांत वन विभाग के स्थानीय कर्मचारियों और अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर नुकसान का जायजा लेने की जहमत उठाई है। अब वन विभाग आपने इस भारी भरकंप नुकसान के बारे में क्या कार्रवाई करता है, यह तो विभाग पर निर्भर करता है, परन्तु अधिकारियों, कर्मचारियों की चुपी और लापरवाही के कारण हजारों पेड़ मलबे के नीचे दबे और विभाग को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।
यह भी जानकारी मिली है कि करीब 2 दिन पहले ही इसी जगह पर कुछ इक्का दुक्का स्थानीय लोगों ने सरकारी भूमि पर लगे पेड़ को जे. सी. बी. से उखाड़ दिया था। इस घटना की सूचना मिलते ही विभाग के अधिकारियों ने उन्हें भारी जुर्माना किया था। इसमें बड़ा सवाल यह है कि उस समय भी मौके पर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निरीक्षक को पहुंचे थे, परंतु उन्होंने बगल में चल रही डंपिंग से दब रहे पेड़ों के बारे में क्यों कार्रवाई नहीं की? क्या बड़ी कंपनियों और बड़ी फर्मो के लिए की अलग ही कोई नीति है? इस तरह के सवालों से विभाग के कार्यप्रणाली सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई है।
सोमवार को खुद मौके पर जाकर निरीक्षण करूंगा डीएफओ
डीएफओ अंकित कुमार का कहना है कि पेड़ों को मलबे से दबाने की सूचना मिली है। वन विभाग के रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड को मौके पर जाकर निरीक्षण करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि अभी वह आउट ऑफ स्टेशन है, और सोमवार को वह खुद भी मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे। अगर ऐसा पाया गया तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मामला मेरे ध्यान में नहीं : सुशील
इसके बारे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साइट इंजीनियर सुशील कुमार का कहना है कि उन्हें ऐसी जानकारी नहीं है कि चयनित डंपिंग साइट की जगह कंपनी द्वारा किसी अन्य जगह मलबा फेंका जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बारे संबंधित कंपनी के ठेकेदार और अधिकारी या सुपरवाइजर ही बता सकेंगे। पेड़ों के दबाए जाने की जानकारी उन्हें नहीं है।
