हिमाचल प्रदेश पुलिस में बड़ा विवाद: सेवानिवृत्त डीजीपी के आखिरी दिन जारी किए गए पुरस्कारों की सूची को नए डीजीपी ने किया रद्द

  हिमाचल प्रदेश पुलिस मुख्यालय में एक अभूतपूर्व घटना ने प्रशासनिक हलचल मचा दी है। निवर्तमान पुलिस महानिदेशक (DGP) अतुल वर्मा ने 31 मई को अपने सेवानिवृत्त होने के आखिरी दिन डीजीपी डिस्क अवॉर्ड 2024 के लिए 172 पुलिसकर्मियों की सूची जारी की, जिसमें तीन आईपीएस अधिकारियों सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। लेकिन चौंकाने वाला कदम तब उठाया गया जब उसी दिन शाम को नए कार्यवाहक डीजीपी अशोक तिवारी ने इस सूची को निरस्त कर दिया। यह पहला मौका है जब प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में किसी पुरस्कार सूची को इतनी जल्दी वापस लिया गया हो, जिससे पुलिस विभाग के भीतर गहरे मतभेदों के साथ-साथ चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं! 

इस सूची में एसपी कुल्लू डॉ. कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन और उनकी पत्नी एसपी मंडी साक्षी वर्मा समेत कई प्रतिष्ठित अधिकारियों के नाम शामिल थे। डॉ. कार्तिकेयन को कुल्लू में नशा मुक्ति अभियान और कानून व्यवस्था सुधारने के लिए चुना गया था, जबकि साक्षी वर्मा को मंडी जिले में महिला सुरक्षा और अपराध नियंत्रण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाना था। इसके अलावा, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र डरोह में तैनात आईपीएस अरविंद चौधरी भी इस सूची का हिस्सा थे। प्रदेश के सभी जिलों से चुने गए इन अधिकारियों और कर्मचारियों को यह पुरस्कार मिलना तय था, लेकिन अचानक इस फैसले को पलट दिया गया।

इस पूरे प्रकरण ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सेवानिवृत्ति के आखिरी दिन ही यह सूची जारी करने की क्या जरूरत थी? अगर यह सूची सही थी, तो इसे महज कुछ घंटों में वापस क्यों लेना पड़ा? क्या नए डीजीपी को इस चयन प्रक्रिया पर भरोसा नहीं था, या फिर यह पूर्व डीजीपी और कुछ अधिकारियों के बीच चल रहे मतभेदों का नतीजा है? सूत्रों के मुताबिक, यह घटना अतुल वर्मा और एसपी संजीव गांधी के बीच लंबे समय से चले आ रहे टकराव से जुड़ी हो सकती है। पहले ही सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

 

अभी तक पुलिस मुख्यालय या सरकार की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह घटना प्रदेश की प्रशासनिक पारदर्शिता और विभागीय एकता पर गंभीर सवाल उठाती है। आमतौर पर ऐसे उलटफेर राजनीतिक बदलाव के दौर में देखने को मिलते हैं, लेकिन पुलिस जैसे अनुशासित विभाग में ऐसा होना चिंताजनक है। अब सवाल यह है कि क्या इस पुरस्कार सूची को दोबारा जारी किया जाएगा या नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू होगी? इसका जवाब अगले कुछ दिनों में सामने आ सकता है, लेकिन इस घटना ने हिमाचल प्रदेश पुलिस के भीतर के अंदरूनी विवादों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

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