भारत ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने का प्लान तैयार कर लिया है। पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। वहीं चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत पाकिस्तान को अलग-थलग कर देना चाहता है। हाल के दिनों में पाकिसतान और तालिबान के बीच संबंध खराब हुए हैं। भारत चाहता है कि पाकिस्तानी बंदरगाहों पर निर्भरता कम हो जाए। वहीं ईरान चाहता है कि इस बंदरगाह के जरिए वह भारत के नेतृत्ववाले अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) में शामिल हो जाए। अगले महीने सेंट्रल एशिया के पांच विदेश मंत्री भारत आ सकते हैं। उस दौरान भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, सीमापार आतंकवाद और पाकिस्तान पर व्यापार की निर्भरता को कम करने का मुद्दा उठा सकता है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आसपास सेंट्रल एशिया आतंकवाद का शिकार लंबे समय से रहा है। अफगानिस्तान में भी सीमापार आतंकवाद की समस्या बढ़ रही है। जून में होने वाली विदेश मंत्रियों की यह बैठकg पहले 2022 में ही गणतंत्र दिवस के मौके पर होनी थी। हालांकि किसी वजह से उस समय यह मीटिंग नहीं हो पाई थी। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रियों की इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ एक्शन और यूरेशिया में INSTC और चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
कौन-कौन से देशों को विदेश मंत्री आ सकते हैं भारत
जून के महीने में कजाकिस्तान, किर्गिज रिपब्लिक, तजाकिस्तान, तुर्किमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री भारत आ सकते हैं। कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान ने पहले से ही INSTC और चाबहार पोर्ट के जरिए भारत से व्यापार शुरू कर दिया है। जानकारों का कहना है कि भारत केंद्रीय एशिया के देशों के साथ रक्षा संबंध और व्यापारिक संबंध और मजबूत करना चाहता है।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान रीजन में बढ़ते आतंकवाद को लेकर रूस समेत केंद्रीय एशिया के देश बेहद परेशान हैं। भारत इस मौके का फायदा उठाना चाहता है। आतंकवाद के खिलाफ अगर इन देशों ने मिलकर लड़ाई शुरू की तो पाकिस्तान अपने आप ही अलग-थलग हो जाएगा। पिछले कुछ महीनों में कजाकिस्तान-किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान में आतंकवाद पर बड़ी कार्रवाई की गई है। 2024 में एससीओ समिट में भी इन देशों ने संयुक्त बयान में आतंकवाद और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ वार किया था।
