सतलुज में फंसे दो मासूमों की जान बचाने को एनटीपीसी ने रोका बिजली उत्पादन, करोड़ों का नुकसान झेलकर दिखाई मानवता

बिलासपुर जिले के खंगड़ गांव में बुधवार शाम एक बड़ा हादसा टल गया जब सतलुज नदी में फंसे दो मासूम बच्चों की जान बचाने के लिए एनटीपीसी कोलडैम प्रबंधन ने बिजली उत्पादन तत्काल बंद कर दिया। मानवता की मिसाल पेश करते हुए एनटीपीसी ने करोड़ों रुपये के नुकसान की परवाह न करते हुए जल स्तर को कम करने के लिए जलग्रहण गेट बंद कर दिए।

 

घटना शाम करीब 5 बजे की है जब गांव के तीन बच्चे — कृष चंदेल, अनुज और एक लड़की — सतलुज किनारे खेलते हुए रेत के मैदान में जा पहुंचे। उसी दौरान एनटीपीसी की यूनिट चालू हुई, जिससे सतलुज का जलस्तर अचानक बढ़ गया। खतरा महसूस कर कृष और अनुज पास के एक टापू पर चढ़ गए, जबकि तीसरी बच्ची समय रहते बाहर निकल गई।

 

बच्चों की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंचे। वार्ड सदस्य अंजना कुमारी ने बिना देर किए एनटीपीसी के एचओपी से संपर्क किया। हालात की गंभीरता को समझते हुए एनटीपीसी प्रबंधन ने तुरंत बिजली उत्पादन रोककर पानी के बहाव को नियंत्रित किया।

 

जल स्तर कम होते ही गांव के राजेंद्र कुमार ने रस्सी के सहारे टापू तक पहुंचकर दोनों बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।

 

इस मानवीय फैसले के चलते एनटीपीसी को जहां बिजली उत्पादन में ठप, पेनल्टी, और राजस्व हानि के रूप में करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा, वहीं कंपनी की संवेदनशीलता और तत्परता ने दो मासूम जिंदगियां बचा लीं।

 

गांववासियों और जनप्रतिनिधियों ने एनटीपीसी की इस कार्रवाई की सराहना की और कहा कि अगर समय रहते पानी का बहाव न रोका जाता तो शायद बच्चों को बचा पाना असंभव हो जाता।

 

यह घटना मानवता, जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है।

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