1999 में स्वीकृत हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-03 (टोनी देवी-आवाहदेवी मार्ग) का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है, और अब स्थानीय लोगों का आरोप है कि जो काम हुआ है, वह घटिया सामग्री से किया गया है, जो आने वाली बरसात में बर्बाद हो सकता है। इस सड़क की खराब हालत के कारण लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन और नोडल एजेंसियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
*निर्माण कार्य में गंभीर लापरवाही*
स्थानीय निवासियों और मजदूरों का कहना है कि निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा सरिया और सीमेंट कमजोर है, जो हल्के दबाव में ही टूट सकता है। नालियों का निर्माण भी ठीक ढंग से नहीं किया गया है, जिससे बरसात में पानी भरने और सड़क क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ गया है। कई लोगों ने शिकायत की कि अगर यह काम लोक निर्माण विभाग के अधीन होता, तो शायद अब तक ना जाने कितने अधिकारियों के तबादले हो जाते क्यु नैशनल हाईवे के अधिकारियों को किसी का भी डर नहीं है लेकिन (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की लापरवाही के कारण कार्य धीमा और बेढंगा चल रहा है।
*जनता को उठानी पड़ रही मुश्किलें*
इस सड़क का उपयोग करने वाले लोगों का कहना है राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कि गड्ढों और अधूरे निर्माण के कारण वाहनों को भारी नुकसान हो रहा है। मरीजों को अस्पताल ले जाने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि झटकों से उनकी हालत बिगड़ने का खतरा रहता है। स्थानीय व्यापारियों का भी कहना है कि सड़क की खराब हालत के कारण उनका व्यापार प्रभावित हुआ है।
*प्रशासन और सरकार चुप, जनता नाराज*
स्थानीय लोगों का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। और ठेकेदार कंपनी पर काम को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकारी में भी पारदर्शिता का अभाव है। विधायक और सांसद भी इस मामले में हस्तक्षेप करने में नाकाम रहे हैं।
स्थानीय नागरिक संगठनों ने मांग की है कि, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और राज्य सरकार तुरंत निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच कराए, दोषी ठेकेदार और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए तथा प्रोजेक्ट को शीघ्र पूरा करने के लिए समय सीमा तय की जाए।
अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह सड़क न केवल जनता के लिए मुसीबत बनी रहेगी, बल्कि सरकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़े होंगे।
