पर्यावरण संरक्षण, ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन और पर्यावरण से संबंधित अन्य मुद्दों के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और एनजीटी द्वारा समय-समय पर पारित किए गए आदेशों की अनुपालना तथा जिला पर्यावरण योजना के संबंध में गठित जिला स्तरीय स्पेशल टास्क फोर्स की बैठक वीरवार को उपायुक्त अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि आज के दौर में पर्यावरण हर नागरिक की आम दिनचर्या से जुड़ा हुआ एक संवेदनशील विषय है और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिला स्तर पर एक व्यापक योजना बनाई गई है। इस जिला पर्यावरण योजना में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ स्थानीय निकायों और कई विभागों की भी सीधी जवाबदेही निर्धारित की गई है। उपायुक्त ने बताया कि जिला पर्यावरण योजना में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन, बायो मेडिकल और ई-कचरा प्रबंधन, पेयजल गुणवत्ता, नदी-नालों की स्वच्छता, एयर क्वालिटी प्रबंधन, खनन तथा प्रदूषण नियंत्रण के अन्य सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
शहरी निकायों और इनके साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा एकत्रीकरण की स्थिति की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि अगर घरों से ही कचरे की छंटाई करके गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित किया जाए तो इसके सही निष्पादन में आसानी होगी। उन्होंने शहरी निकायों के अधिकारियों से कहा कि घरों से एकत्रित गीले कचरे से कंपोस्ट तैयार करने पर विशेष बल दें और इस कंपोस्ट की क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाएं, ताकि इसे किसान इसका उपयोग अपने खेतों में कर सकें। प्लास्टिक कचरे के एकत्रीकरण और इसे सीमेंट कारखानों या लोक निर्माण विभाग को भेजने की व्यवस्था को भी प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। री-साइकल या री-यूज होने वाले कचरे के एकत्रीकरण के लिए कबाड़ का काम करने वाले लोगों की मदद भी ली जानी चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक कचरे और अस्पतालों एवं क्लीनिकों से निकलने वाले बायो-मेडिकल कचरे का निष्पादन निर्धारित नियमों के तहत ही होना चाहिए। सिंगल यूज प्लास्टिक या पॉलीथिन का प्रयोग करने वाले व्यवसायियों के तुरंत चालान करें।
उपायुक्त ने कहा कि शहरी क्षेत्रों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों जैसे झनियारी, झिरालड़ी और अन्य गांवों में सड़कों के किनारे कूड़े के हॉट स्पॉट देखने को मिल रहे हैं। इन हॉट स्पॉट्स की सफाई के बाद इन क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यास और इसकी सहायक नदियों और खड्डों तथा नालों के आसपास भी गंदगी नहीं होनी चाहिए। इनके किनारे स्थित कचरा संयंत्रों और सीवरेज ट्रीटमंेट प्लांटों में सभी आवश्यक प्रबंध होने चाहिए। बैठक में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कई अन्य मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। उपायुक्त ने बताया कि जिला पर्यावरण योजना को नियमित रूप से अपडेट किया जा सकता है। संबंधित विभाग इसके लिए आवश्यक सुझाव या प्रस्ताव भेज सकते हैं।
बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप मोदगिल ने जिला पर्यावरण योजना के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। एसपी भगत सिंह ठाकुर, एडीएम राहुल चौहान, एसडीएम संजीत सिंह, अन्य विभागों तथा शहरी निकायों के अधिकारियों ने भी इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया।
