मंदिरों की संपत्ति श्रद्धालुओं की सेवा के लिए, सरकार की फिजूलखर्ची के लिए नहीं – इंद्रदत्त लखनपाल

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मंदिरों की निधि को सरकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने के फैसले पर भाजपा विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों का धन श्रद्धालुओं की सुविधाओं और मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारियों के कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि सरकार की असफल नीतियों को चलाने के लिए।

उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति और आस्था का केंद्र रहे मंदिरों की संपत्ति को जनता के लिए उपयोग करने के बजाय, सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन को छुपाने के लिए इस निधि पर निर्भर हो रही है। यह फैसला न केवल हिंदू समाज की आस्था पर आघात है, बल्कि प्रदेश सरकार की आर्थिक बदहाली का भी प्रमाण है।

मंदिरों की निधि का उपयोग श्रद्धालुओं और ट्रस्ट कर्मचारियों के लिए हो

इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि मंदिरों का धन श्रद्धालुओं और धार्मिक स्थलों की बेहतरी के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस निधि को मंदिरों में सुविधाओं के विस्तार, धर्मशालाओं के निर्माण, स्वच्छता व्यवस्था और अन्य जरूरी कार्यों पर खर्च किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं मिल सकें।

उन्होंने कहा कि सरकार को मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने मांग की कि –

मंदिरों की निधि से ट्रस्ट कर्मचारियों को दुर्घटना बीमा और आर्थिक सुरक्षा मिले। यदि किसी ट्रस्ट कर्मचारी की सेवा काल में मृत्यु हो जाए तो उसके परिवार को करुणामूलक आधार पर नौकरी दी जाए।
मंदिरों के रखरखाव में लगे कर्मचारियों को वेतन और अन्य लाभ दिए जाएं।

प्रदेश सरकार अपनी फिजूलखर्ची पर लगाम लगाए

भाजपा विधायक ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अपने गैर-जरूरी खर्चों को कम करने के बजाय अब धार्मिक स्थलों की संपत्ति पर नजर गड़ा रही है।

करोड़ों रुपये विज्ञापनों और सरकारी प्रचार पर खर्च किए जा रहे हैं।
बड़े पैमाने पर कैबिनेट रैंक के सलाहकार नियुक्त किए जा रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन और पेंशन देने के लिए धन नहीं है, लेकिन अनावश्यक खर्चों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि यदि सरकार अपनी फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखे तो राज्य की आर्थिक स्थिति स्वतः ही सुधर सकती है।

जरूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय में जाएंगे

इंद्रदत्त लखनपाल ने स्पष्ट किया कि यदि प्रदेश सरकार ने मंदिरों के धन को सरकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने का निर्णय वापस नहीं लिया, तो भाजपा इसे लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

उन्होंने कहा कि आस्था और श्रद्धा के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। भाजपा इस मुद्दे को आगामी बजट सत्र में भी पूरी मजबूती से उठाएगी और सरकार को जवाब देने पर मजबूर करेगी।

जनता को गुमराह कर रही सरकार

भाजपा विधायक ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले बड़ी-बड़ी गारंटियां दी थीं, लेकिन अब वे खोखली साबित हो रही हैं। सरकार जनता को झूठे दावों से भ्रमित कर रही है कि उसने सभी वादे पूरे कर दिए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करती और जनता की आस्था का सम्मान नहीं करती, तो आने वाले समय में प्रदेश की जनता इसे करारा जवाब देगी।

भाजपा सरकार से करेगी जवाबदेही की मांग

इंद्रदत्त लखनपाल ने सरकार से तुरंत इस निर्णय को वापस लेने की मांग की और कहा कि भाजपा इस लड़ाई को हर स्तर पर लड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह मंदिरों के धन को श्रद्धालुओं की सुविधाओं और ट्रस्ट कर्मचारियों के कल्याण में लगाए, ताकि धार्मिक आस्था का सम्मान बना रहे।

 

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