सुक्खू सरकार का तुगलकी फरमान – गरीबों की रोज़ी-रोटी पर हमला

 हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा होम स्टे रजिस्ट्रेशन फीस को 100 रुपये से बढ़ाकर 150 गुना करना गरीबों, किसानों और बेरोजगार युवाओं के साथ खुला अन्याय है। सरकार द्वारा होम स्टे को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला भी उन लोगों के लिए एक तगड़ा झटका है, जो अपने सीमित संसाधनों से स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह फैसला प्रदेश की जनता पर आर्थिक बोझ डालने और उन्हें रोजगार के अवसरों से वंचित करने का एक सुनियोजित षड्यंत्र है।

विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने मीडिया में बयान जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार गरीबों और बेरोजगारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार रोजगार बढ़ाने के झूठे दावे करती है, दूसरी तरफ जो लोग स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहे हैं, उनके पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया जा रहा है।

सरकार के फैसले से हजारों परिवारों पर संकट

इस फैसले से वे हजारों परिवार प्रभावित होंगे, जिन्होंने अपने घरों को होम स्टे में बदलकर पर्यटकों को रहने की सुविधा दी थी। इससे ग्रामीण पर्यटन को भी बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि भारी भरकम रजिस्ट्रेशन फीस और जीएसटी के चलते गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

लखनपाल ने कहा कि सरकार जनता से रोजगार देने के बजाय उनके रोजगार छीनने में लगी है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यह बता सकते हैं कि गरीब परिवार इतनी भारी भरकम फीस कहां से देंगे? क्या यह सरकार सिर्फ अपने रिश्तेदारों और चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही है?

भाजपा सड़कों पर उतरकर करेगी विरोध

विधायक लखनपाल ने सरकार से यह जनविरोधी फैसला तुरंत वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार ने यह तानाशाही फैसला वापस नहीं लिया, तो भाजपा इसे सड़क से लेकर सदन तक मुद्दा बनाएगी और हर स्तर पर विरोध करेगी।

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