हिमाचल प्रदेश सरकार की सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंगज एक्ट 1972 एवं प्रदेश टेनेनसी एंड लैंड रिफॉमर्ज एक्ट 1972 के प्रावधानों की मजबूरी कहा जाए या सोसाइटी के नाम पर जमीन ट्रांसफर करने बारे उदासीन रवैया यह कहना बेहद मुश्किल है, परन्तु इस तरह की मजबूरी या उदासीनता अब भोटा स्थित राधा स्वामी चैरीटेबल हॉस्पिटल बंद होने का कारण बन सकती है। अब सरकार इस अस्पताल को पंजाब में शिफ्ट होने से बचाने के लिए इस एक्ट में कुछ संशोधन करती है या फिर नया बिल लाती है यह तो सरकार के स्तर का काम है, परन्तु इस अस्पताल के बंद होने से भोटा कस्बे के नजदीकी कई दर्जनों क्षेत्रों के हजारों लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा आघात पहुंच सकता है। यह अस्पताल भोटा क्षेत्र के इर्द गिर्द के करीब 20 से 25 कि.मी.के दायरे में आने वाले हजारों लोगों को निशुल्क इलाज प्रदान करने बारे संजीवनी से कम नहीं है। जाहू क्षेत्र की ओर से भोरंज, लदरौर, पट्टा, सुलगवान, बड़सर उपमंडल की ओर से सलौनी, करेर, उखली, मैड, समेत हमीरपुर शहर की तरफ से हजारों लोग यहां से उपचार लेते हैं। अब अगर सरकार द्वारा इस चैरीटेबल अस्पताल की जमीन को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसाइटी के नाम ट्रांसफर नहीं किया जाता है तो हजारों की आबादी को इस निशुल्क और बेहतरीन उपचार सुविधा से वंचित होना पड़ेगा।
जंकशन पॉइंट पर स्थित है यह अस्पताल, कई गंभीर मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुआ
बता दें कि यह चैरीटेबल अस्पताल बिलासपुर,शिमला, चंडीगढ़ और हमीरपुर की ओर जाने का जंकशन पॉइंट पर बना हुआ है। इन राष्ट्रीय राजमार्गो पर आए दिन कई सड़क दुर्घटनाएं पेश आती हैं। अस्पताल के जंक्सन पॉइंट पर स्थित होने के कारण दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को यहां फौरी उपचार मुहैया करवाया जाता रहा है। अगर यह अस्पताल बंद हो जाता है तो मैडीकल कालेज हमीरपुर तक मरीज को पहुंचाने में काफी वक़्त लग सकता है और लोगों को तुरंत उपचार नहीं मिल सकेगा। सड़क दुर्घटना में घायल हुए कई दर्जनों लोगों की यहां फौरी उपचार मिलने से जाने बचाई जा चुकी हैं।
बता दें कि राधा स्वामी सतसंग ब्यास धार्मिक संगठन है जिसे बर्ष 1891 में बाबा जैमल द्वारा लोगों की सेवा के लिए स्थापित किया गया था। भोटा अस्पताल की बात की जाए तो बर्ष 1999 से यह अस्पताल शुरू हुआ है मौजूदा समय में यह अस्पताल 45 बिस्तरों से लैस है और यहां हर 3 महीने बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा अत्याधुनिक मशीनों से मरीजों के निशुल्क ऑपरेशन भी किए जाते हैं। यहां भर्ती मरीज बिना अपने किसी तिमारदार के उपचार करवाते आए हैं क्यों इसमें तैनात सेवादार बड़ी सजगता से उनकी देखभाल करते हैं। काबिले गौर है कि पिछले करीब अढ़ाई दशकों से राधा स्वामी सतसंग ब्यास भोटा अस्पताल की जमीन को महाराजा जगत सिंह रिलीफ सोसाइटी के नाम पर ट्रांसफर करवाने की वकालत करती आई है और कई बार सरकारों को पत्राचार कर चुकी है, परन्तु हिमाचल प्रदेश एक्ट 1972 के चलते लैंड ट्रांसफर नहीं की जा सकी है।
अगर सरकार फैसला सोसाइटी के पक्ष में नहीं लेगी तो धरना प्रदर्शन करने से गुरेज नहीं करेंगे
वहीं भोटा अस्पताल का चल रहा लैंड ट्रांसफर विवाद सरकार के लिए एक और आफत खड़ी कर सकता है। भोरंज की पूर्व भाजपा विधायक कमलेश कुमारी ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर प्रदेश सरकार इस जमीन को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसाइटी के नाम ट्रांसफर नहीं करती है और अस्पताल अगर बंद होता है तो वे धरना पर्दशन करने से गुरेज नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकांश पंचायत प्रतिनिधि उनके सम्पर्क में हैं और सरकार का सोसाइटी के पक्ष में जमीन ट्रांसफर करवाने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा है। अस्पताल के बंद होने से क्षेत्र का बहुत बड़ा नुकसान होगा। उनसे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके विधायकी कार्यकाल के दौरान अस्पताल का जमीन ट्रांसफर करने का कोई विवाद सामने नहीं आया था। उन्हें इस बारे कुछ दिन पहले ही ऐसी जानकारी मिली है।
टेक्निकल और लीगल इशू के कारण उपजा है विवाद :प्रेम कौशल
कांग्रेस के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता प्रेम कौशल ने बताया कि जिस समय भोटा चैरीटेबल अस्पताल की नींव रखी गई थी उस दौरान कांग्रेस सरकार ने इसे विकसित करने के उद्देश्य से हर सम्भव सहयोग प्रदान किया था ताकि लोगों को इसका बेहतर लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि अस्पताल के विस्तारिकरण के लिए लैंड ट्रांसफर करने का कुछ टेक्निकल और लीगल इशू चल रहा है। सरकार और संबंधित विभाग के अधिकारी जल्द ही इसका निदान कर लेंगे। उन्होंने कहा कि अस्पताल बंद नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि हजारों लोगों को यहां बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जा रही है।