राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर उपायुक्त ने की जिला स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता, प्रेस का बदलता स्वरूप विषय पर संगोष्ठी आयोजित

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आज यहां उपायुक्त कार्यालय के सभागार में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता उपायुक्त अपूर्व देवगन ने की। भारतीय प्रेस परिषद की ओर से प्रदत्त प्रेस का बदलता स्वरूप विषय पर एक संगोष्ठी भी इस अवसर पर आयोजित की गई, जिसमें जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न समाचार पत्रों व मीडिया घरानों के वरिष्ठ संवाददाताओं ने अपने विचार रखे।

 

संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि प्रेस लोकतंत्र के चार स्तम्भों में से एक माना गया है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर वर्तमान तक पत्रकारिता ने राष्ट्र के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में भी मीडिया का बहुमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग के उत्थान में किए गए प्रयासों, कार्यों एवं प्रैस प्रतिनिधियों की उपलब्धियों पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आज का यह दिवस पत्रकारिता के उच्च मूल्यों एवं सिद्धांतों पर अड़िग रहते हुए कार्य करने की प्रेरणा भी देता है। उन्होंने विश्वास जताया कि वरिष्ठ पत्रकार अपने युवा साथियों के साथ न केवल अपने अनुभव सांझा करेंगे अपितु उन तक पत्रकारिता की मूल्य रूपी विरासत का संचार भी करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि तथ्यपरक जानकारी लोगों तक पहुंचाने में मीडिया अपनी सक्रिय भूमिका निभाता आ रहा है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के दौर में मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन के बीच सही सूचना लोगों तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता एक ही होती है, लेकिन अकसर वह काफी उलझी हुई भी होती है। ऐसे में एक पत्रकार के रूप में और अधिक सजग एवं सचेत होकर कार्य करके ही एक जिम्मेवार प्रैस की भूमिका निभा सकते हैं।

 

संगोष्ठी में भाग लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार मुरारी शर्मा ने कहा कि आज हम तकनीकी विस्फोट के युग में रह रहे हैं और सूचनाओं का अनवरत प्रवाह एक चुनौती के रूप में सामने आया है। आजादी के समय पत्रकारिता एक मिशन के रूप में विकसित हुई और देश को स्वतंत्र करवाने के लिए कलम के सिपाहियों ने भी अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के उपरांत इसने देश के विकास की तस्वीर लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा तो उठाया, मगर बदलते दौर के साथ पत्रकारिता पर व्यावसायिकता भी उतनी ही हावी होती चली गई। ऐसे में पत्रकारों के समक्ष भी कई तरह की चुनौतियां सामने आई हैं।

 

वरिष्ठ पत्रकार एवं मुख्य वक्ता धर्मप्रकाश गुप्ता ने कहा कि बदलते दौर में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सामाजिक तौर पर प्रैस और जिम्मेवार कैसे बने। उन्होंने कहा कि तथ्यपरक समाचार से लेकर सूचना तक के इस सफर में पत्रकारिता ने कई बदलाव देखे हैं। ब्रेकिंग न्यूज के आज के दौर में प्रैस के समक्ष विश्वसनियता बनाए रखने की चुनौती निरंतर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि प्रैस ने स्वतंत्रता आंदोलन में विदेशी शासकों से लोहा लिया। आजादी के पश्चात देश को आगे ले जाना इसका ध्येय रहा और विधायिका अथवा कार्यपालिका की कार्यप्रणाली पर भी मीडिया ने बेबाक अपनी कलम चलाई और तटस्थता के साथ कार्य करते हुए लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की। उन्होंने कहा कि आज के दौर में विशेषतौर पर प्रिंट मीडिया में स्थानीय समाचारों को प्रमुखता मिली है, मगर समाचारों का मूल्य बचाए रखने की चुनौती भी समक्ष है। उन्होंने संपादक संस्था को और सशक्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

 

वरिष्ठ पत्रकार रूप उपाध्याय ने कहा कि बदलते दौर में वेब पर निर्भरता बढ़ी है और न्यूज साईट्स का प्रभुत्व भी बढ़ रहा है। तथ्यों पर आधारित सही सूचना लोगों तक पहुंचाना चुनौती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के युग में लोगों में बड़े स्तर पर कोई भी धारणा बनाना ज्यादा आसान हो गया है और एक सजग व सुदृढ़ मीडिया की भूमिका ऐसे में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के संरक्षण एवं सुरक्षा के प्रति भी संस्थाओं को और अधिक एवं गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।

 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से वरिष्ठ पत्रकार मुनीष सूद ने कहा कि एक समय में टीवी, रेडियो एवं चुनिंदा समाचार पत्र ही सूचना प्राप्त करने के पारम्परिक माध्यम हुआ करते थे। वर्तमान में डिजिटल मीडिया का उपयोग उतरोत्तर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता एवं डाटा जर्नलिज्म के दौर में प्रेस प्रवेश कर चुकी है और ट्रेंडिंग न्यूज के चलन से असल मुद्दों पर पत्रकारिता करना एक चुनौती बन चुका है। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष एवं तटस्थ होकर पत्रकारिता को अपने मूल सिद्धांतों की ओर लौटना होगा।

 

वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा ने कहा कि प्रत्येक कही गई बात समाचार नहीं हो सकती और हमें स्पीड न्यूज की मानसिकता से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा कि तथ्यों के साथ ही सूचना अथवा समाचार की प्रमाणिकता पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए।

 

वरिष्ठ पत्रकार खेमचंद शास्त्री ने कहा कि एक जीवंत समाज में परिवर्तन अवश्यंभावी होता है और इसे स्वीकार भी किया जाना चाहिए, अन्यथा एक ठहराव की स्थिति निर्मित हो जाती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के उच्च मूल्यों एवं सिद्धांतों पर चलते हुए हमें बदलाव स्वीकार करने चाहिए।

 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से वरिष्ठ पत्रकार अंकुश सूद ने कहा कि बदलते समय के साथ भारतीय प्रेस में भी विभिन्न स्तरों पर बदलाव आए हैं। विशेष तौर पर कोविड काल के उपरांत प्रिंट मीडिया के समक्ष कई चुनौतियां सामने आईं जिसने उनकी कार्यप्रणाली में बदलाव के लिए परिस्थितियां पैदा कीं और उन्हें डिजिटल माध्यमों की ओर रूख करना पड़ा। आज पत्रकारिता में महिलाएं भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, यह एक सुखद बदलाव है।

 

संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार पुरषोत्तम शर्मा, भगत सिंह गुलेरिया, हंसराज सैणी, रजनीश हिमालयन, धर्मचंद वर्मा, आशा ठाकुर, सुभाष ठाकुर, अनिल शर्मा, विनोद राणा, सोनिया शर्मा सहित विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के दौरान पुष्पराज संधु ने गज़ल एवं मुनीष सूद ने अपने गीतों के तरानों से संगीत की छटा भी बिखेरी।

 

इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त रोहित राठौर, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. मदन कुमार, ग्रामीण विकास विभाग के जिला विकास अधिकारी गोपीचंद पाठक सहित मंडी जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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