Women of Balh are becoming entrepreneurs by joining self-help groups

स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर उद्यमी बन रहीं बल्ह की महिलाएं

सिलाई-कढ़ाई के कार्य हों या सीरा-बड़ियां बनाने की विधि, महिलाएं इनमें पारंगत मानी जाती हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यह कला उनमें स्वभाविक तौर पर विद्यमान रहती है। इन्हीं महिलाओं ने जब अपनी इस कला में और निखार लाया तो, आज वे एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित हो चुकी हैं।

हम बात कर रहे हैं बल्ह क्षेत्र के स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों की। सूर्या स्वयं सहायता समूह भडयाल की प्रधान पूजा वालिया बताती हैं कि गेहूं से तैयार होने वाला स्वादिष्ट सीरा और कचालू की बड़ियां यूं तो अरसे से वे बना रहीं थीं। समूह से जुड़ने के बाद अब इसे व्यवसायिक तौर पर उत्पादित करना शुरू किया है। घरेलू जिम्मेवारियों के साथ-साथ सिलाई का कार्य भी वे कर रही हैं। इसके लिए स्वयं सहायता समूह के माध्यम से 50 हजार रुपए का ऋण प्राप्त किया, जिससे दो सिलाई मशीनें खरीदी हैं।

सूर्या समूह की सचिव सुनीता ने बताया कि उनके समूह की चार सदस्य सीरा-बड़ियां बनाने तथा दो सिलाई-बुनाई का कार्य कर रही हैं। इसके अतिरिक्त दुधारू पशु भी पाल रही हैं। समूह की सदस्यों को सालाना एक से डेढ़ लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है। इससे वे आर्थिक तौर पर भी सुरक्षित महसूस कर रही हैं।

बाला कामेश्वर स्वयं सहायता समूह भडयाल की सचिव मीना ने बताया कि वे स्वैटर बुनने का कार्य करती हैं। हाथ से बुनी जेंट्स हाफ स्वैटर 700 रुपए तक आसानी से बिक जाती है जबकि मशीन से बुनी स्वैटर के 500 रुपए तक दाम मिल जाते हैं। छह वर्ष आयु तक के बच्चों के स्वैटर 200 रुपए तक तथा डेढ़ साल तक के बच्चों के स्वैटर 450 रुपए तक बिक जाते हैं। स्थानीय स्तर पर मांग पूरी करने के अतिरिक्त वे हिम-ईरा दुकानों के माध्यम से भी इनकी बिक्री करती हैं। सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए लगने वाले विभिन्न स्टॉल पर भी वे अपने उत्पाद भेजती हैं।

इन महिलाओं ने बताया कि समूह के गठन पर पहले 10 हजार रुपए और उसके उपरांत 15 हजार रुपए का रिवॉल्विंग फंड प्राप्त हुआ। 2500 रुपए की स्टार्ट अप राशि भी मिली है। इससे उन्हें अपने हुनर में निखार लाने का अवसर प्राप्त हुआ और आज स्वैटर बुनने से ही वे 15 से 20 हजार रुपए की कमाई एक सीजन में आसानी कर लेती हैं। इन दोनों समूहों में सात-सात सदस्य जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (पीएमएफएमई) के तहत भी सदस्यों को 40 हजार रुपए का ऋण प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में जो कार्य वे सिर्फ अपने परिवार के लिए कर रही थीं, उसे विस्तार देने में सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं सहायक बनी हैं। आज महिलाओं का समूह घर की चाहर-दीवारी से निकलकर एक लघु उद्यमी के रूप में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

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