राज्य सभा के पूर्व सांसद एवं भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता कृपाल परमार ने हमीरपुर में पत्रकार वार्ता कर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के उपर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि पिछले चार में उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का बुरा हाल हुआ है और छोटे कद के लोगों को उंचे पदों पर बैठाया गया, जिससे पार्टी को बुरे दिन देखने पड रहे हैं और आने वाला समय इससे भी बुरा होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल में औपरेशन नडडा पूरी तरह फेल हुआ है और प्रदेश की जनता ने भी भाजपा को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में निर्दलीयों का त्यागपत्र देना किसी के गले नहीं उतर रहा है और किसके कहने पर उन्होंने त्यागपत्र दिया है, यह समझ से परे है, क्योंकि कानूनी रूप से वे त्याग पत्र देने के लिए किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं थे।
पूर्व भाजपा नेता ने कहा कि हमीरपुर में सोची-समझी साजिश के तहत अनुराग ठाकुर के लिए चक्रव्युह बिछाया गया। अनुराग ठाकुर जब यहां के चक्रब्युह से निकल गए तो प्लान बी के तहत दिल्ली में मंत्रीमंडल के चक्र ब्युह में फंसा दिए गये और वे कैबिनेट से बाहर हो गए। उन्होंने कहा कि इन सब चीजों को खामियाजा पार्टी को भुगतना पडेगा। उन्होंने कहा कि नडडा पहले हमीरपुर से चुनाव लडना चाहते थे, फिर उन्होंने मंडी और कांगडा में हाथ- पांव मारे। जब कुछ न बना तो गुजरात चले गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल की जनता जानना चाहती है कि उन्होंने हिमाचल से पलायन क्यों किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जीते हुए सांसद को मंत्रिमडल में शामिल न करने से कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है।
पूर्व सांसद कृपाल परमार ने क्रैशर के मुद्धे पर कहा कि जब पार्टी विपक्ष में होती है तो खनन के आरोप लगाती है और जब विपक्ष में होती है तो सत्ता में आते ही चुप हो जाती है और खनन को कोई नहीं रोक रहा हैं। उन्होंने कहा कि यह सब पैसे का खेल है। निर्दलीयों को त्याग पत्र देने मुद्धे पर कहा कि उनके त्याग पत्र का मुद्धा सारे प्रचार में उठेगा और उनसे जनता द्वारा सवाल पूछा जाएगा कि उनके त्याग पत्र देने से सरकार तो बदली नही, जब वे कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे तो उनके काम नहीं हो रहे थे, अब जब वे कांग्रेस के विरोध आ गए तो उनके काम कैसे होंगे।
नड्डा के आरएसएस के उपर दिए गए ब्यान पर उन्होंने कहा कि मै नड्डा जी को तब से जानता हू जब वे परिपक्व नहीं थे, मेरा और नड्डा जी के पिछले चालीस सालों का साथ रहा है। नड्डा जी के मुंह में आप अपने शब्द डाल नहीं सकते और न उनसे शब्द निकाल सकते हैं। उनका ब्यान भाजपा के लिए आत्मघाती साबित हुआ है। चुनावों के बीचों-बीच उनका ब्यान देना कुछ समझ नहीं आ रहा है। आज अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतिश कुमार और चंद्रबाबु नायडु की बैसाखियों पर खडे हैं तो उसका एक प्रमुख कारण नड्डा जी को वो ब्यान है। उसके बाद भी उन्हें केंद्रीय मंत्री क्यों बनाया गया, यह किसी के गले नहीं उतर रहा है। जी को आरएसएस को वैचारिक पावर हाउस कहते थे, आज उसी वैचारिक पावर हाउस के उपर नड्डा जी ने अटैक किया हैं। उन्होंने कि अगर यह गलत है तो भाजपा को मीडीया के सामने इस वक्तव्य का खंडन करना चाहिए।
