हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर पुष्पेंद्र का टिकेट फाइनल कर दिया है इस का जन्म 30 जुलाई 1975
योग्यता एमडी (कम्युनिटी मेडिसिन) फैलोशिप इन पैलिएटिव केयर मेडिसिन एंड कैंसर कीमोथेरेपी.19 वर्ष सरकारी क्षेत्र में सेवाएं दी बहुत सी गैर सरकारी संस्थाओं के साथ जुड़कर समाज के लिए सेवा की। 2000 से ज्यादा फ्री मेडिकल कैंप्स 1500 से ज्यादा रक्तदान शिविर इसके अलावा नशे के खिलाफ प्रचार-प्रसार में मुख्य भूमिका निभाई।
विधानसभा उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा का नाम फाइनल कर दिया है। अब हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा और आशीष शर्मा ही एक बार फिर आमने-सामने होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी तिकोना मुकाबला हुआ था। तब 12000 से ज्यादा मतों से आशीष जीते थे। इस बार मुकाबला सीधा होगा। इसीलिए मुकाबला दिलचस्प होगा।
कुछ दिनों से कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा को लेकर जो माहौल बना था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने तमाम नेताओं से जो फीडबैक लिया, उसी को फिर से आधार बनाया और अब पुष्पेंद्र वर्मा को ही फिर से चुनावी जंग में उतारा गया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने तमाम नेताओं से जो फीडबैक लिया, उसी को फिर से आधार बनाया और अब पुष्पेंद्र वर्मा को ही फिर से चुनावी जंग में उतारा गया है।
पुष्पेंद्र के पिता रणजीत सिंह वर्मा भी विधायक रह चुके हैं। लंबे समय के बाद फिर से हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार से चुनावी जंग में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनावों में आशीष शर्मा से हार जाने के बावजूद पुष्पेंद्र ने जमीनी हकीकत को समझते हुए लोगों से जुड़े रहे।
पुष्पेंद्र के पिता रणजीत सिंह वर्मा भी विधायक रह चुके हैं। लंबे समय के बाद फिर से हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा भाजपा उम्मीदवार से चुनावी जंग में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनावों में आशीष शर्मा से हार जाने के बावजूद पुष्पेंद्र ने जमीनी हकीकत को समझते हुए लोगों से जुड़े रहे। उनके कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार जारी रहा। हालांकि पिछली बार नामांकन दाखिल करने के आखिरी रोज 2 घंटे पहले उनका टिकट फाइनल हुआ था।
ग्राउंड रिपोर्ट पुष्पेंद्र के हक में गई है। इसमें सुनील शर्मा बिट्टू पीछे रह गए। चार दिन पहले शिमला में हमीरपुर शहर के ही कई प्रमुख लोगों के प्रतिनिधि मंडल भी मुख्यमंत्री से मिले थे। इसमें चाहे बिट्टू पर्दे के पीछे ही रहे हों, लेकिन पुष्पेंद्र की जमीनी हकीकत बिट्टू पर भारी पड़ी। हमीरपुर में विधानसभा चुनाव की जंग बेहद रोचक मरहले में दिखेगी। क्योंकि भाजपा में जो कुछ भी चल रहा है उस से समन्वय बनाना भी भाजपा उम्मीदवार के लिए बेहद चुनौती पूर्ण होगा।
