ब्रेकिंग न्यूज. हमीरपुर, देहरा और नालागढ़ में भी उप चुनाव तय है, लेकिन एक जून को इसकी संभावना नहीं है

हिमाचल प्रदेश के 3 निर्दलीय विधायकों को लगा जोर दार झटका लगा है। लोकसभा चुनाव के साथ इनकी सीटों पर भी विधानसभा उप चुनाव करवाए जाए और बीजेपी के टिकट पर जीतकर अपने भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए। मगर स्पीकर द्वारा अब तक इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होने की वजह से आज इनकी सीटों पर उप चुनाव का ऐलान लटक गया है।

स्टेट इलेक्शन कमीशन आज लोकसभा के साथ- छह विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की घोषणा करेगा। साथ में नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। छह सीटें वह हैं, जहां पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के बागी पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था पार्टी व्हिप का उलंघन करने पर उन्हें अयोग्य ठहराया गया।

देहरा से इंडिपेंडेंट विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर और हमीरपुर से आशीष शर्मा ने भी बीते 23 मार्च को भाजपा जॉइन की थी तो उन्होंने कहा कि वह दोबारा चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने बीते 22 मार्च को स्वेच्छा से अपने पदों से इस्तीफा दिया हैं। इनके इस्तीफा देने के बाद माना जा रहा था कि हिमाचल में छह नहीं बल्कि नौ सीटों पर विधानसभा उप चुनाव होंगे।

यह माना जा रहा है कि कम से कम एक जून को निर्दलीय विधायकों की सीटों पर उप चुनाव नहीं होंगे। बेशक, बाद में करवाए जा सकते हैं। अब यदि स्पीकर कुलदीप पठानिया इनका इस्तीफा स्वीकार करते हैं तो हमीरपुर, देहरा और नालागढ़ में भी उप चुनाव तय है, लेकिन एक जून को इसकी संभावना नहीं है

याचिका में जगत नेगी ने कहा कि निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही बीजेपी जॉइन की है। इसलिए इनके खिलाफ एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए और अयोग्य घोषित किया जाए। मंत्री की यह याचिका स्पीकर के पास विचाराधीन है। इस पर 11 मई को सुनवाई होगी।

निर्दलीय विधायकों ने भी इस्तीफा स्वीकार कराने के लिए स्पीकर को निर्देश देने के मकसद से हाईकोर्ट में याचिका दे रखी है। इस पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला रिजर्व रखा है।

निर्दलीय विधायकों ने भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया था। इससे बहुमत वाली कांग्रेस सरकार चुनाव हार गई। राज्यसभा चुनाव से पहले तक तीनों निर्दलीय विधायक सरकार के साथ एसोशिएट के तौर पर काम कर रहे थे। मगर राज्यसभा चुनाव के बाद इन्होंने विधायकी छोड़कर बीजेपी जॉइन की।

तीनों विधायक बिना बीजेपी जॉइन किए भी भाजपा को समर्थन दे सकते थे। मगर पांच साल के लिए चुने गए विधायकों ने 15 महीने में ही अपने पदों से इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव लड़ने के विकल्प को बेहतर माना।

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