हमीरपुर जिला के टौणीदेवी से होकर निर्माणाधीन अटारी-मनाली नेशनल
हाई-वे से 88 वर्षीय महिला का दो कमरों का आशियाना तो उजाड़ दिया गया, लेकिन अब उसे फिर से छत तैयार करने के लिए
दर-दर भटकना पड़ रहा है। तीन महीनों से जमीन के इंतकाल की फाइल हमीरपुर के एसडीएम कार्यालय में पड़ी है। कोट पंचायत के प्रधान गुलशन कुमार से लेकर खुद महिला कई बार इस कार्यालय के चक्कर काट कर अब हैं। अब वृद्ध महिला कैलाशो देवो करें भी तो करें क्या?
जहां पर उसका छोटा-सा यह दो कमरों का मकान निर्माणाधीन हाई- वे की जद में आया। उसे मुआवजा भी दिया गया। लेकिन अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कैलाश देवी और उनके बेटे को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा
सड़क किनारे खोखानुमा कमरे में बैठी वृद्धा और उसकी बेटा। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली इस महिला पर अब मुसीबतों का पहाड़ इसलिए टूट पड़ा है, क्योंकि सर्दियों का मौसम खत्म होने वाला है और जिस टॉन नुमा खोखे में इसने शरण ली है। वह धूप में तपने वाला है। कब इसका मकान बनेगा, कब
जमीन मिलेगी? जीवन के अंतिम पड़ाव पर यह मंहिला अपनी अधेड़ की बेटा के साथ रह रही है। बेहद में इनका जीवन-यापन हो रहा उम्र गरीबों है, लेकिन पंचायत इन्हें फिर से बसाने के लिए तट पर है
वहीं कोट के प्रधान गुलशन कुमार का कहना है कि उपयुक्त को भी इस बारे में अवगत करवाया था उन्होंने एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक वह कार्रवाई नहीं हो पाई है एसडीएम तहसीलदार सबको इस बारे में भागवत करवा चुके हैं लेकिन पता नहीं क्यों उनके ऑफिस से फाइल आगे जाती नहीं है प्रधान का कहना है अगर ईन बुजुर्गों को अधेड की उम्र में कुछ हो जाता है तो कोण इस का जिम्मेदार होगा प्रधान का कहना है कि सरकारी विभाग के लापरवाही से यह काम अटका पड़ा है क्योंकि कुछ राजनीतिक अटकलें भी इस काम को रुकवा रही है अब देखना होगा कि स्थानीय विभाग इसके ऊपर क्या कार्रवाई करता है हमीरपुर जिला के टौणीदेवी से होकर निर्माणाधीन अटारी-मनाली नेशनल
हाई-वे से 88 वर्षीय महिला का दो कमरों का आशियाना तो उजाड़ दिया गया, लेकिन अब उसे फिर से छत तैयार करने के लिए
दर-दर भटकना पड़ रहा है। तीन महीनों से जमीन के इंतकाल की फाइल हमीरपुर के एसडीएम कार्यालय में पड़ी है। कोट पंचायत के प्रधान गुलशन कुमार से लेकर खुद महिला कई बार इस कार्यालय के चक्कर काट कर अब हैं। अब वृद्ध महिला कैलाशो देवो करें भी तो करें क्या?
जहां पर उसका छोटा-सा यह दो कमरों का मकान निर्माणाधीन हाई- वे की जद में आया। उसे मुआवजा भी दिया गया। लेकिन अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कैलाश देवी और उनके बेटे को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा
सड़क किनारे खोखानुमा कमरे में बैठी वृद्धा और उसकी बेटा। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली इस महिला पर अब मुसीबतों का पहाड़ इसलिए टूट पड़ा है, क्योंकि सर्दियों का मौसम खत्म होने वाला है और जिस टॉन नुमा खोखे में इसने शरण ली है। वह धूप में तपने वाला है। कब इसका मकान बनेगा, कब
जमीन मिलेगी? जीवन के अंतिम पड़ाव पर यह मंहिला अपनी अधेड़ की बेटा के साथ रह रही है। बेहद में इनका जीवन-यापन हो रहा उम्र गरीबों है, लेकिन पंचायत इन्हें फिर से बसाने के लिए तट पर वहीं कोट के प्रधान गुलशन कुमार का कहना है कि उपयुक्त को भी इस बारे में अवगत करवाया था उन्होंने एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक वह कार्रवाई नहीं हो पाई है एसडीएम तहसीलदार सबको इस बारे में भागवत करवा चुके हैं लेकिन पता नहीं क्यों उनके ऑफिस से फाइल आगे जाती नहीं है प्रधान का कहना है अगर ईन बुजुर्गों को अधेड की उम्र में कुछ हो जाता है तो कोण इस का जिम्मेदार होगा प्रधान का कहना है कि सरकारी विभाग के लापरवाही से यह काम अटका पड़ा है क्योंकि कुछ राजनीतिक अटकलें भी इस काम को रुकवा रही है अब देखना होगा कि स्थानीय विभाग इसके ऊपर क्या कार्रवाई करता है
- वहीं कोट के प्रधान गुलशन कुमार का कहना है कि उपयुक्त को भी इस बारे में अवगत करवाया था उन्होंने एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक वह कार्रवाई नहीं हो पाई है एसडीएम तहसीलदार सबको इस बारे में भागवत करवा चुके हैं लेकिन पता नहीं क्यों उनके ऑफिस से फाइल आगे जाती नहीं है प्रधान का कहना है अगर ईन बुजुर्गों को अधेड की उम्र में कुछ हो जाता है तो कोण इस का जिम्मेदार होगा प्रधान का कहना है कि सरकारी विभाग के लापरवाही से यह काम अटका पड़ा है क्योंकि कुछ राजनीतिक अटकलें भी इस काम को रुकवा रही है अब देखना होगा कि स्थानीय विभाग इसके ऊपर क्या कार्रवाई करता है विधि दर्शन विधि तक इंतकाल करवाया देने का भी प्रसाद दिया था लेकिन यह इंतकाल नहीं हो पाया 6 लाख 30000 का मुआवजा उनके खाते में पड़ा है और कुछ पैसा भी लोगों ने इकट्ठा करके दे दिया है मगर जमीन ही राज्यसभा विभाग और नहीं कर रहा है तो फिर कमरों का निर्माण कैसे होगा
