मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अगुवाई में प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ किया गया व्यवस्था परिवर्तन संकल्प अब न केवल नीतिगत घोषणाओं तक ही सीमित रह गया है, बल्कि जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में अनुशासन, पारदर्शिता और सकारात्मक कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देने वाले राज्य सरकार के इस संकल्प की एक जीवंत मिसाल करसोग उपमंडल में देखने को मिली है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मांहूनाग ने राज्य सरकार के इस संकल्प को मजबूती प्रदान करते हुए स्कूल के समस्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया है। इस पहल को 14 मई, 2025 से प्रभावी रूप से लागू किया कर दिया गया है। विद्यालय का पूरा स्टाफ, लगभग 28 सदस्य, जिनमें शिक्षण और नॉन-टीचिंग स्टाफ दोनों शामिल हैं, स्वेच्छा से इस प्रयास का हिस्सा बने हैं। मांहूनाग स्कूल करसोग उपमंडल का पहला ऐसा स्कूल बन गया है, जिसने ड्रेस कोड की दिशा में इतनी एकजुट और अनुशासित पहल की है।
स्कूल प्रधानाचार्य नरेंद्र जंवाल ने बताया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई व्यवस्था परिवर्तन की भावना से प्रेरित होकर लिया गया है। उन्होंने कहा, “अनुशासन और समानता किसी भी शिक्षण संस्थान की नींव होते हैं। जब शिक्षक और स्टाफ खुद अनुशासित होते हैं, तो विद्यार्थी भी प्रेरित होते हैं। यह ड्रेस कोड शिक्षा में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ विद्यार्थियों में भी सकारात्मक सोच विकसित करेगा।”
उन्होंने बताया कि यह कदम पूरी तरह स्वैच्छिक है और सभी कर्मचारियों ने इस विचार का स्वागत करते हुए इसे अपनाया। अब स्टाफ सदस्य निर्धारित परिधान, जिसमें पुरुष स्टाफ के लिए पिंक कलर की कमीज और हल्की ब्राउन शेड की पेंट जबकि महिला स्टाफ ने अपने लिए स्वेच्छा से हरे रंग की ड्रेस निर्धारित की हैं। यह ड्रेस पहन कर ही सभी स्टाफ सदस्य स्कूल आते हैं, जिससे संस्था में अनुशासन, समरसता और पेशेवर वातावरण की स्पष्ट झलक मिलती है।
स्कूल की इस पहल की उपनिदेशक शिक्षा मंडी यशवीर धीमान ने भी भूरी-भूरी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा, “यह प्रयास अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। इससे न केवल अनुशासन मजबूत होगा, बल्कि शिक्षण गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। राज्य सरकार के व्यवस्था परिवर्तन के लक्ष्य को यह पहल सशक्त समर्थन प्रदान करती है।”
स्कूल में अध्ययनरत छात्रों के अभिभावकों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। अध्यापक अभिभावक संघ के प्रधान अनिल शर्मा का मानना है कि जब शिक्षक और पूरा स्टाफ अनुशासित और एक समान वेशभूषा में होते हैं, तो बच्चों के व्यवहार और सोच पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। इससे उन्हें अनुकरणीय आदर्श मिलते हैं और स्कूल का माहौल अधिक सकारात्मक बनता है। यह सब स्कूल प्रधानाचार्य के प्रयासों से संभव हो पाया हैं।
सरकार की व्यवस्था परिवर्तन की नीति को वास्तविक धरातल पर लागू करने की दिशा में मांहूनाग विद्यालय का यह प्रयास एक सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया है। यह पहल इस बात को प्रमाणित करती है कि एक छोटी सी शुरुआत भी बड़े और सार्थक बदलाव की नींव रख सकती है। यदि प्रदेश के अन्य शिक्षण संस्थान भी इस सोच को अपनाएं, तो हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक अनुशासित, संगठित और गुणवत्तायुक्त बनाया जा सकता है। मांहूनाग स्कूल का यह कदम व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में एक ठोस, समर्पित और प्रेरणादायक पहल है
