सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के स्वामित्व वाले 56 होटलों में से 18 को बंद करने के आदेश को लेकर सरकार की मंशा पर कड़े सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसके तहत इन होटलों को घाटे का दिखावा करके निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि अदालत का निर्णय सरकार द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर दिया गया है और वह अदालत के इस निर्णय का सम्मान करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने जानबूझकर सही और पूरी जानकारी अदालत के समक्ष पेश नहीं की, ताकि इन बेशकीमती संपत्तियों को अपने चहेतों को सस्ते दामों में बेचने का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की सुक्खू सरकार लगातार आर्थिक संकट का बहाना बनाकर सरकारी संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रही है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक विरासत वाइल्ड फ्लावर हॉल को ओबेरॉय ग्रुप से लंबी लड़ाई के बाद वापस लिया गया था। अब, सरकार इसे फिर से दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर उसी समूह के हवाले करने की योजना बना रही है।
*राजेंद्र राणा का आह्वान*
राजेंद्र राणा ने स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश जैसे खूबसूरत और ऐतिहासिक महत्व वाले राज्य को बिकने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे पूरे दमखम और वास्तविक तथ्यों के साथ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और सरकार की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सभी तथ्य माननीय अदालत के सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि पैलेस होटल (चैल) और द कैसल (नग्गर) जैसे प्रतिष्ठित होटलों को केवल घाटे का दिखावा करके बंद किया जा रहा है। ये फैसले हिमाचल की ऐतिहासिक और पर्यटन संपत्तियों को कमजोर करने का प्रयास हैं।
राजेंद्र राणा ने जनता से अपील की है कि वे राज्य की विरासत और संपत्तियों को बचाने के इस संघर्ष में साथ दें। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ इन होटलों को बचाने की नहीं, बल्कि हिमाचल की अस्मिता और उसके भविष्य को सुरक्षित रखने की है।