SJVN should ensure final reply on three power projects by January 15, 2025 Chief Minister and Union Power Minister discussed power and housing matters

एसजेवीएनएल 15 जनवरी, 2025 तक तीन ऊर्जा परियोजनाओं पर अन्तिम जवाब देना सुनिश्चित करे मुख्यमंत्री और केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने विद्युत और आवास मामलों पर किया विचार-विमर्श

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और केन्द्रीय ऊर्जा तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने आज यहां हिमाचल प्रदेश से संबंधित ऊर्जा एवं आवास के विभिन्न मामलों पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित बैठक में भाग लिया। बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति के अनुरूप रॉयल्टी का मामला उठाया। उन्होंने नीति की रूपरेखा की जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत विद्युत परियोजनाओं में पहले 12 वर्षोंे के लिए 12 प्रतिशत, इसके उपरांत 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत तथा आगामी 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी की अनिवार्यता की गई हैै।
उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां पहले से इस नीति का अनुसरण कर रही है और केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी इसकी अनुपालना करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड प्रदेश की ऊर्जा नीति की अनुपालना नहीं करती है तब इस स्थिति में हिमाचल प्रदेश सरकार 210 मेगावाट लुहरी चरण-1, 382 मेगावाट सुन्नी परियोजना और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना को अपने अधीन लेने के लिए तैयार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इन परियोजनाओं पर हुए खर्च प्रतिपूर्ति एसजेवीएनएल को देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एसजेवीएनएल ने कार्यान्वयन समझौता हस्ताक्षरित किए बिना इन परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर दिया है। उन्होेंने कहा कि प्रदेश के लोगों को राज्य के जल संसाधनों पर उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने निगम के अधिकारियों को 15 जनवरी, 2025 तक अन्तिम प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने मंडी जिले की 110 मेगावाट शानन परियोजना का पंजाब से अधिग्रहण सुनिश्चित करने में केन्द्र सरकार की सहायता के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की लीज अवधि समाप्त हो गई है। उन्होंने केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को इस परियोजना का हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शानन परियोजना का क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अधीन नहीं आती है।
इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस अधिनियम की समीक्षा कर इसके अनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चत करेंगे।
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को नवम्बर, 1996 से अक्तूबर, 2011 तक की अवधि के लिए प्रदेश को बकाया 13066 मिलियन यूनिट बिजली एरियर जारी करने के निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के हिमाचल प्रदेश के हक में आए निर्णय के बावजूद प्रदेश को अभी तक संबंधित राज्यों के द्वारा उचित हिस्सा नहीं दिया है। केन्द्रीय मंत्री ने इस मामले के संदर्भ में आम सहमति बनाने के लिए सभी हितधारक राज्यों के साथ एक संयुक्त बैठक बुलाने का आश्वासन दिया।
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में संशोधित वितरण क्षेत्र योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए और राज्य के लिए स्मार्ट मीट्रिंग और बिजली क्षति को कम करने पर बल दिया।
श्री सुक्खू और श्री मनोहर लाल ने केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वच्छ भारत पोषण, अम्रृत, शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र से उदार वित्तीय सहायता का आग्रह किया। केन्द्रीय मंत्री ने प्रदेश को केन्द्र सरकार से हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के दौरे के लिए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए श्री मनोहर लाल के इस दौरे को सार्थक पहल बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में इस दौरे के सकारात्मक परिणाम आएंगे।
बैठक में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, केन्द्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, एचपीएसइबीएल के अध्यक्ष संजय गुप्ता, प्रधान सचिव देवेश कुमार, मुख्य मंत्री के सचिव राकेश कंवर, केन्द्रीय संयुक्त सचिव शशांक मिश्रा तथा राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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